संविधान दिवस समारोह में राज्यपाल बागडे ने संविधान और संस्कृति पर प्रकाश डाला

संविधान दिवस समारोह में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने संविधान को भारत के जन की भाषा बताया। उन्होंने सनातन संस्कृति के नायकों का सम्मान करने, शिक्षा और बौद्धिक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के न्यूजलेटर विमोचन और संविधान उद्यान का अवलोकन भी शामिल रहा।
संविधान दिवस समारोह का आयोजन जयपुर और अजमेर में :
जयपुर / अजमेर। संविधान दिवस समारोह का आयोजन महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय में किया गया, जिसमें राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संविधान उद्यान का अवलोकन भी किया गया और न्यूजलेटर “त्रिवेणी” का विमोचन किया गया।
संविधान दिवस का उद्देश्य युवाओं और आम जनता में संविधान के महत्व, नागरिक कर्तव्यों और सामाजिक मूल्यों की समझ बढ़ाना है।
राज्यपाल बागडे ने संविधान को भारत के जन की भाषा बताया :
राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान भारत के जन के मन की भाषा है। उन्होंने उल्लेख किया कि संविधान को लागू करते समय इसे आत्मार्पित करने का लक्ष्य रखा गया है। उनका कहना था:
“संविधान को केवल कागज पर नहीं, बल्कि मन और आत्मा से अपनाना चाहिए। यही संविधान की सच्ची शक्ति है।”
राज्यपाल ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया और उसके मूल्यों पर भी प्रकाश डाला। उनका कहना था कि संविधान सनातन संस्कृति के मूल्यों पर आधारित है और इसमें उन महापुरुषों के चित्र शामिल किए गए हैं जिन्होंने देश और संस्कृति की रक्षा की।
संविधान में शामिल सनातन संस्कृति के नायकों का सम्मान :
राज्यपाल बागडे ने कहा कि संविधान में सनातन संस्कृति के नायकों और आक्रान्ताओं को चित्र रूप में शामिल किया गया है। यह गौरव हमारी संस्कृति और संविधान दोनों का प्रतीक है। उन्होंने जोर दिया कि इस पर हमें गर्व होना चाहिए।
राज्यपाल ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्व समझाते हुए कहा कि संविधान प्रदत्त अधिकार किसी व्यक्ति या समूह को नीचा दिखाने के लिए नहीं होना चाहिए।
युवा पीढ़ी और शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र का विकास :

राज्यपाल ने कहा कि भारत लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है। इसके विकास में सभी नागरिकों का योगदान आवश्यक है। विशेषकर युवा पीढ़ी द्वारा किए गए नवाचार और अच्छे कार्य देश की गति को बढ़ाएंगे।
उन्होंने शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षा और संस्कार साथ-साथ चलने चाहिए, क्योंकि शिक्षा में नयी ऊर्जा और बौद्धिक क्षमता से शोध और विकास कार्य संभव हैं।
न्यूजलेटर विमोचन और विश्वविद्यालय गतिविधियों का अवलोकन :
संविधान दिवस समारोह में महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय की गतिविधियों से संबंधित न्यूजलेटर “त्रिवेणी” का विमोचन भी किया गया। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के योगदान की सराहना की और कहा कि संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है।
संविधान उद्यान का अवलोकन करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा और संविधान के प्रति जागरूकता दोनों ही समाज और राष्ट्र के विकास के लिए अनिवार्य हैं।
मुख्य वक्ता प्रो. नारायण लाल गुप्ता का संदेश :
समारोह में मुख्य वक्ता अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षणिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि संविधान सभा के सदस्य आदर्शवादिता, समर्पण और समावेशिता के जीवन को जीते थे।
उन्होंने कहा कि संविधान ने आज तक आए सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों में स्थिर शासन और न्यायपूर्ण व्यवस्था प्रदान की है। उनका मानना था कि भारत का संविधान न केवल देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए मार्गदर्शक साबित हो रहा है।
संविधान दिवस का महत्व और संदेश
संविधान दिवस पर आयोजित यह समारोह युवाओं, नागरिकों और छात्रों के लिए संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की समझ बढ़ाने का अवसर था। राज्यपाल और मुख्य वक्ता ने मिलकर यह संदेश दिया कि संविधान केवल कानून का दस्तावेज नहीं है, बल्कि देश की आत्मा और नागरिकों के अधिकारों का मार्गदर्शक है।
कार्यक्रम ने यह भी दिखाया कि शिक्षा और संवैधानिक जागरूकता से नए भारत का निर्माण संभव है।
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