भोजपुर में जलाया जा रहा ई-कचरा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए बना खतरा

मुरादाबाद के भोजपुर क्षेत्र में ई-कचरा जलाने से ग्रामीणों की स्वास्थ्य और पर्यावरण गंभीर रूप से प्रभावित। अधिकारियों की लापरवाही और माफियाओं की बेखौफ हरकतों से समस्या बढ़ी। स्थानीय लोग ई-कचरा जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
भोजपुर में ई-कचरा जलाने से स्वास्थ्य और पर्यावरण खतरे में
मुरादाबाद :
मुरादाबाद जनपद के थाना भोजपुर क्षेत्र में ई-कचरा जलाकर माफियाओं द्वारा स्वास्थ्य और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचाया जा रहा है। जैसे ही सर्दियों का मौसम आया, ई-कचरा जलाने से वातावरण दूषित हो रहा है और माफियाओं का यह खेल बेखौफ जारी है। नगर क्षेत्र में ई-कचरे का निरंतर प्रवेश हो रहा है, जिससे भोजपुर क्षेत्र की हवा जहरीली हो गई है।
ई-कचरा माफियाओं की बेखौफ हरकतें :

सूत्रों के अनुसार, ई-कचरा माफिया ग्रामीण और वन्य क्षेत्रों में चोरी-छिपे और रात के अंधेरे में ई-कचरा जलाते हैं। खाली पड़े खेतों और जंगलों में यह काला कारोबार खुलेआम चल रहा है। ई-कचरा जलने के दौरान उठने वाला धुआँ घंटों तक आसमान में फैलता है, जिससे ग्रामीणों का सांस लेना तक कठिन हो गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा भी बन गई है।
स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव :
ई-कचरा जलाने के कारण क्षेत्र के ग्रामीण कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसमें शामिल हैं:
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सांस की समस्या और फेफड़ों में संक्रमण
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हार्ट अटैक और हृदय संबंधित रोग
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कैंसर और अन्य घातक बीमारियाँ
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त्वचा और आँखों में जलन
ग्रामीणों का कहना है कि यह हालात वर्षों से बने हुए हैं और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही इस समस्या को और बढ़ा रही है।
प्रशासनिक नाकामी और संरक्षण :
सूत्रों के अनुसार, जिम्मेदार अधिकारी ई-कचरा माफियाओं से गुप्त साठगांठ कर चुके हैं, जिसके कारण इस काले कारोबार के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि आखिर किसका संरक्षण इस नेटवर्क को मिल रहा है, जो खुलेआम स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरे में डाल रहा है।
ग्रामीणों की मांग :
भोजपुर क्षेत्र के ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से पूर्ण प्रतिबंध लगाने और सख्त कार्यवाही करने की मांग की है। उनका कहना है कि ई-कचरा जलाने वाले माफियाओं को तुरंत पकड़ा जाए और इस पर कड़ी नजर रखी जाए।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सामूहिक आंदोलन करने पर मजबूर होंगे, ताकि पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पर्यावरणीय खतरा :
ई-कचरा जलाने से हवा में जहरीली गैसें और हानिकारक तत्व फैलते हैं। यह सर्दियों में वायु प्रदूषण को और बढ़ा देता है। क्षेत्र के जंगल और कृषि भूमि भी इस प्रदूषण से प्रभावित हो रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक कचरे में भारी धातुएँ और रासायनिक पदार्थ होते हैं, जो जलने पर वातावरण में मिलकर दीर्घकालिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न करते हैं।
समाधान और भविष्य की योजना :
विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि ई-कचरे का निस्तारण केवल जलाने से नहीं, बल्कि सही री-सायक्लिंग और प्रबंधन के माध्यम से किया जाना चाहिए।
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इलेक्ट्रॉनिक कचरे को अलग संग्रह और रिसाइक्लिंग सेंटर भेजा जाए।
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स्थानीय प्रशासन की निगरानी बढ़ाई जाए।
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माफियाओं के खिलाफ कड़ा कानून और जुर्माना लागू किया जाए।
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ग्रामीणों को जागरूक किया जाए कि ई-कचरा जलाने से उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है।
निष्कर्ष :
भोजपुर में ई-कचरा जलाने का काला कारोबार स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सिर्फ खतरा नहीं, बल्कि गंभीर संकट बन गया है। स्थानीय ग्रामीण, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और पर्यावरण कार्यकर्ता इस पर तत्काल रोक और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यदि प्रशासन ने उचित कदम नहीं उठाए, तो क्षेत्र में स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिति और बिगड़ सकती है।
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