जयपुर डांस कॉन्क्लेव 2025 के लिए शर्मिला बिस्वास ने पेश किया ‘सृष्टि प्रलय’ : शास्त्रीय और लोक नृत्य का अद्भुत संगम

जयपुर डांस कॉन्क्लेव 2025 के कर्टेन रेज़र में शर्मिला बिस्वास और ओडिसी विज़न मूवमेंट सेंटर ने अपनी प्रस्तुति ‘सृष्टि प्रलय’ पेश की। शास्त्रीय और लोक नृत्य का अद्भुत संगम, भारतीय नृत्य कला की गहनता और नवाचार का उत्सव।
जयपुर डांस कॉन्क्लेव 2025 के लिए ‘सृष्टि प्रलय’ का भव्य कर्टेन रेज़र
जयपुर में ओडिसी नृत्य प्रस्तुति ने मंत्रमुग्ध किया दर्शकों को

जयपुर : आगामी 22 और 23 नवंबर को होने वाले पहले जयपुर डांस कॉन्क्लेव (JDC) के लिए एक विशेष कर्टेन रेज़र आयोजित किया गया। कोलकाता की प्रसिद्ध नृत्यांगना और कोरियोग्राफर शर्मिला बिस्वास ने अपनी प्रस्तुति ‘सृष्टि प्रलय’ राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर में पेश की। यह प्रस्तुति कॉन्क्लेव की तैयारी और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित की गई।
इस आयोजन में शर्मिला बिस्वास के साथ तबले पर पंडित संदीप लेले और हारमोनियम पर विनय मिश्रा ने संगत दी। इस प्रस्तुति ने दर्शकों को ओडिसी और लोक नृत्य की गहन परंपरा में डुबो दिया।
ओडिसी परंपरा में एक मशहूर नाम, शर्मिला बिस्वास अपने गहन शोध-आधारित, विचारोत्तेजक और पौराणिक विषयों को सजीव करने वाले नृत्य-प्रयोगों और संगीत के लिए जानी जाती हैं। प्रस्तुति ‘सृष्टि प्रलय’ (क्रिएशन और डिसोल्यूशन) भी कुछ अलग नहीं थी, एक गहन और संवेदनशील यात्रा, जिसमें ताल, मिथक और सृष्टि के चक्र का अनूठा संगम दिखाई दिया।
‘सृष्टि प्रलय’ — ओडिसी और मिथक का संगम

‘सृष्टि प्रलय’ का पहला सेगमेंट ‘सृष्टि तत्त्व’ जयदेव के दशावतार से प्रेरित था। इसमें भगवान विष्णु के दस अवतारों के माध्यम से सृष्टि के निर्माण और संरक्षण की प्रक्रिया को दर्शाया गया। पारंपरिक ओडिसी मुद्राओं, जटिल लयों और दृश्य चित्रों के माध्यम से कलाकारों ने सृजन और संरक्षण के शाश्वत संतुलन को प्रस्तुत किया।
दूसरा सेगमेंट ‘ध्वनि-प्रतिध्वनि’ में प्रस्तुति शास्त्रीय से लोक तक विस्तारित हुई। भारतीय ग्रामीण परंपराओं से प्रेरणा लेते हुए, यह भाग दर्शाता है कि संगीत और नृत्य की उत्पत्ति कैसे भगवान शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य से हुई। मंच पर डंडा वादकों की थाप और कथावाचकों की कहानियों ने सभागार में दिव्य ऊर्जा का संचार कर दिया।
लोक और शास्त्रीय नृत्य का अद्भुत संयोजन
‘ध्वनि-प्रतिध्वनि’ ने लोक तालों की मुक्त ऊर्जा और शास्त्रीय लय की सुसंरचना को एक साथ प्रस्तुत किया। शर्मिला बिस्वास और उनकी टीम ने शैली और स्वाभाविकता, अराजकता और सृजन के बीच शाश्वत संवाद को दर्शाया। इस परिवर्तन ने दर्शकों को एक भावनात्मक और संवेदी अनुभव प्रदान किया।
जयपुर डांस कॉन्क्लेव का उद्देश्य और महत्व

जयपुर डांस कॉन्क्लेव भारतीय नृत्य की कालातीत सुंदरता और समकालीन स्वरूप का उत्सव है। यह मंच शास्त्रीय और आधुनिक नृत्य परंपराओं के संगम के माध्यम से संवाद, खोज और प्रदर्शन का अवसर प्रदान करता है।
कॉनक्लेव के उद्घाटन संस्करण में दो दिवसीय फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रस्तुतियाँ, कार्यशालाएँ और चर्चाएं होंगी। पूरे भारत के प्रमुख डांसर्स, कोरियोग्राफर्स और सांस्कृतिक विशेषज्ञ इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।
आयोजन और क्यूरेशन
इस कॉन्क्लेव का आयोजन आर्टस्पॉट्स द्वारा किया जा रहा है, जिसे अमृता लाहिड़ी और मंजोत चावला ने संकल्पित और क्यूरेट किया है। आयोजन का उद्देश्य जयपुर के दर्शकों में भारत की समृद्ध और विविध नृत्य परंपरा के प्रति जागरूकता और सराहना बढ़ाना है।
भविष्य में सांस्कृतिक योगदान
जयपुर डांस कॉन्क्लेव न केवल कलाकारों और दर्शकों के लिए सीखने और प्रेरणा का स्रोत बनेगा, बल्कि यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय नृत्य की पहचान को भी सशक्त करेगा। इस पहल से ओडिसी, कथक, भरतनाट्यम और अन्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों का संरक्षण और प्रसार होगा।
अंतिम प्रभाव
‘सृष्टि प्रलय’ की प्रस्तुति ने दर्शकों को न केवल मंत्रमुग्ध किया, बल्कि जयपुर डांस कॉन्क्लेव की उम्मीदों को भी साकार किया। शर्मिला बिस्वास की शोध-आधारित नृत्य प्रस्तुति और उनकी टीम की कला ने यह दिखाया कि भारतीय नृत्य परंपरा में नवाचार और परंपरा का अद्भुत संगम संभव है।
कॉन्क्लेव के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए वेबसाइट देखें: www.jaipurdanceconclave.com.
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