पं. उल्हास कशालकर की अनहद श्रृंखला में प्रस्तुति : राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में सुरों का महोत्सव

राजस्थान पर्यटन और स्पिकमैके के तत्वावधान में “अनहद” श्रृंखला की तीसरी प्रस्तुति में सुप्रसिद्ध गायक पं. उल्हास कशालकर का गायन 8 नवम्बर को जयपुर में होगा।
“अनहद” श्रृंखला में अब पं. उल्हास कशालकर की होगी प्रस्तुति

जयपुर :
राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जयपुर में एक बार फिर सुरों की महक बिखरने जा रही है। राजस्थान पर्यटन विभाग और स्पिक मैके (SPIC MACAY) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “अनहद” श्रृंखला की तीसरी कड़ी में अब देश के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित उल्हास कशालकर अपनी प्रस्तुति देंगे।
“अनहद” श्रृंखला – परंपरा और संगीत का संगम
“अनहद” श्रृंखला का उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्राचीन परंपराओं को आम जन तक पहुँचाना है। यह कार्यक्रम उन रसिकों के लिए है जो संगीत को सिर्फ सुनना नहीं, बल्कि आत्मा से महसूस करना चाहते हैं।
पहली दो प्रस्तुतियों को मिली अपार सफलता के बाद अब तीसरी प्रस्तुति में पं. कशालकर अपने सुरों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे।
पं. उल्हास कशालकर — सुरों के विलक्षण साधक
पंडित उल्हास कशालकर भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत के शीर्षस्थ गायकों में गिने जाते हैं। वे ग्वालियर, जयपुर और आगरा घरानों की समृद्ध परंपरा के प्रतिनिधि हैं।
उनके गायन में परंपरा की गहराई और नवीनता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
उनकी शैली में स्वर की कोमलता, भाव की सूक्ष्मता और राग की आत्मा का अद्वितीय मेल झलकता है। शास्त्रीयता और सौंदर्यबोध का यह संगम ही उन्हें आज के समय के सबसे सम्मानित कलाकारों में स्थान दिलाता है।
संगत में होंगे पं. संदीप लेले और विनय मिश्रा
इस संगीतमय संध्या में पं. कशालकर के साथ तबले पर पंडित संदीप लेले और हारमोनियम पर विनय मिश्रा संगत करेंगे। इन दोनों कलाकारों का साथ इस प्रस्तुति को और भी मधुर और गूढ़ बनाएगा।
पं. संदीप लेले अपनी तबला संगत के लिए जाने जाते हैं, जिसमें ताल की जटिलता और लय की सहजता का अद्भुत मिश्रण होता है। वहीं, विनय मिश्रा का हारमोनियम वादन रागों की आत्मा को स्वर रूप में पिरो देता है।
डॉ. अश्विनी भिड़े-देशपांडे की अनुपस्थिति
स्पिक मैके की प्रवक्ता अनु चंडोक और हिमानी खींची ने बताया कि मूल रूप से इस शाम को मुंबई की प्रख्यात शास्त्रीय गायिका डॉ. अश्विनी भिड़े-देशपांडे प्रस्तुति देने वाली थीं।
लेकिन, परिवार में आकस्मिक चिकित्सा आपात स्थिति के चलते वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकेंगी।
उनकी अनुपस्थिति में, आयोजन समिति ने पं. उल्हास कशालकर को आमंत्रित किया है, जो समान रूप से संगीत के प्रखर साधक हैं और दर्शकों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करेंगे।
कब और कहाँ
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स्थान: राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर
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तिथि: शनिवार, 8 नवम्बर 2025
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समय: शाम 6.00 बजे से
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प्रवेश: निशुल्क (पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर)
यह कार्यक्रम सभी संगीत प्रेमियों के लिए खुला रहेगा, ताकि अधिक से अधिक लोग भारतीय शास्त्रीय संगीत की गरिमा को प्रत्यक्ष अनुभव कर सकें।
पं. उल्हास कशालकर का योगदान

पंडित उल्हास कशालकर का संगीत जीवन चार दशकों से अधिक का है। उन्होंने न केवल देश के प्रमुख संगीत समारोहों में अपनी प्रस्तुतियाँ दी हैं, बल्कि विश्वभर के मंचों पर भारतीय राग संगीत का मान बढ़ाया है।
उनका गायन भारतीय परंपरा की गहराई, साधना और आत्मा की अनुभूति का प्रतीक है। वे उन कुछ कलाकारों में से हैं जिन्होंने घरानों की विशिष्टताओं को एक साथ साधा है और अपनी शैली में नया आयाम जोड़ा है।
शास्त्रीय संगीत के प्रचार का मंच
“अनहद” श्रृंखला का यह आयोजन स्पिक मैके के उस उद्देश्य को आगे बढ़ाता है जिसके तहत युवाओं में भारतीय शास्त्रीय कला के प्रति जिज्ञासा और सम्मान को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
ऐसे आयोजनों के माध्यम से राजस्थान पर्यटन विभाग न केवल सांस्कृतिक पर्यटन को बल दे रहा है, बल्कि राज्य को भारत की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी स्थापित कर रहा है।
निष्कर्ष
“अनहद” श्रृंखला की यह प्रस्तुति केवल एक संगीत कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव है।
पं. उल्हास कशालकर की मधुर आवाज़ और पारंपरिक रागों की गहराई निश्चित रूप से श्रोताओं के मन में सुरों की अनुगूँज छोड़ जाएगी।
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