वनतारा को CITES की क्लीन चिट: भारत की वन्यजीव नीति को वैश्विक सराहना, सुप्रीम कोर्ट के बाद मिली अंतरराष्ट्रीय मान्यता

सुप्रीम कोर्ट के बाद CITES ने भी वनतारा की पारदर्शी कार्यप्रणाली को सराहा। जामनगर स्थित वनतारा परियोजना पशु-संरक्षण में बना नया वैश्विक मॉडल।
सुप्रीम कोर्ट के बाद अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार संधि (CITES) ने भी वनतारा को दी क्लीन चिट
भारत की वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराही गई :

नई दिल्ली : भारत के लिए गौरव की बात है कि देश की वन्यजीव सुरक्षा और पशु कल्याण व्यवस्था को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली है। सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट के बाद अब ‘अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव व्यापार संधि’ (CITES) ने भी गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा परियोजना की प्रशंसा की है।
CITES ने अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि वनतारा परियोजना और उससे जुड़ी दो संस्थाएं — ग्रीन ज़ूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिकवरी सेंटर (GZRRC) और राधाकृष्ण टेम्पल एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट (RKTEWT) — अत्यंत उच्च मानकों के तहत संचालित हो रही हैं।
आधुनिक बाड़े, चिकित्सीय देखभाल और पारदर्शी संचालन

CITES की विस्तृत जांच रिपोर्ट के अनुसार, जामनगर स्थित वनतारा परियोजना में पशुओं के लिए आधुनिक बाड़े, चिकित्सीय देखभाल, क्वारंटीन सुविधा और उन्नत उपकरणों से सुसज्जित पशु अस्पताल मौजूद हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां पशुओं की जीवन गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। नियमित स्वास्थ्य जांच, पौष्टिक आहार और प्राकृतिक वातावरण को बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक तरीके अपनाए जा रहे हैं।
CITES ने इस बात पर विशेष संतोष जताया कि संस्थान किसी भी प्रकार के व्यावसायिक लाभ या बिक्री गतिविधि में शामिल नहीं हैं। सभी कार्य पूर्ण पारदर्शिता और भारतीय कानूनों के अनुरूप किए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के बाद CITES की पुष्टि ने बढ़ाया विश्वास
यह गौर करने योग्य है कि इससे पहले भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी वनतारा परियोजना को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए संस्था को क्लीन चिट दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि वनतारा और उसकी संबद्ध संस्थाएं पशु-संरक्षण, पुनर्वास और उपचार में उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं।
अब अंतरराष्ट्रीय संस्था CITES की रिपोर्ट ने भारत की इस न्यायिक पुष्टि को और मजबूती दी है, जिससे वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत की विश्वसनीयता और भी बढ़ गई है।
CITES रिपोर्ट: पारदर्शी प्रक्रियाएं और वैध आयात
CITES की रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी पशु CITES निर्यात या पुनः-निर्यात परमिट के तहत ही भारत लाए गए हैं।
भारत सरकार की अनुमति के बिना किसी भी पशु को देश में प्रवेश नहीं दिया गया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि वनतारा ने कैमरून से चिंपांज़ियों के आयात को पारदर्शिता की कमी के कारण रद्द कर दिया था, जो संस्था की ईमानदार कार्यप्रणाली को दर्शाता है।
रिपोर्ट ने इस तथ्य की भी पुष्टि की कि संस्थान किसी भी व्यावसायिक या प्रदर्शन उद्देश्यों के लिए पशुओं का उपयोग नहीं करते।
वनतारा ने पेश की पशु-संरक्षण की नई मिसाल :
CITES ने वनतारा को पशु-संरक्षण और पुनर्वास के क्षेत्र में “नई मिसाल” बताया।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि GZRRC और RKTEWT ने न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक स्तर पर पशु चिकित्सा के क्षेत्र में नवाचार और वैज्ञानिक योगदान दिया है।
CITES ने सिफारिश की कि इन संस्थानों के पशु-चिकित्सा अनुभव और अनुसंधान को वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के साथ साझा किया जाए, ताकि अन्य देश भी भारत की इस सफलता से सीख सकें।
भारत की वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था विश्व स्तर पर प्रशंसित
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वन्यजीव सुरक्षा और नियामक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरी है।
CITES ने भारत सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि देश ने वन्यजीव संरक्षण, पशु कल्याण और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन में एक मजबूत उदाहरण प्रस्तुत किया है।
इस रिपोर्ट से यह संदेश स्पष्ट हुआ है कि भारत अब न केवल अपने देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
निष्कर्ष: भारत बना पशु-संरक्षण का वैश्विक मॉडल
CITES की सकारात्मक रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की क्लीन चिट के बाद वनतारा परियोजना भारत की वन्यजीव संरक्षण नीति की सफलता का प्रतीक बन गई है।
जामनगर का यह मॉडल अब विश्व के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो दिखाता है कि किस तरह आधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक देखभाल और कानूनी पारदर्शिता के साथ पशु कल्याण को उच्चतम स्तर पर लागू किया जा सकता है।
वनतारा ने यह साबित कर दिया है कि भारत में पशु-प्रेम, नीति-निर्माण और पर्यावरणीय संतुलन एक साथ चल सकते हैं — और यही “मॉडर्न इंडिया” की सबसे बड़ी पहचान है।
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