Jaipur News : जोबनेर में 331 वर्षों बाद पंचकल्याणक महोत्सव, धर्म-संस्कृति का संगम
जोबनेर में आगामी नवंबर माह में आयोजित होने जा रहे पंचकल्याणक महा‑महोत्सव की तैयारियाँ आज प्रारंभ हो गई हैं। यह महोत्सव क्षेत्र के जैन समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह 331 वर्षों बाद आयोजित हो रहा है। पंचकल्याणक महोत्सव न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र होगा, बल्कि स्थानीय जैन समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता को भी पुनर्जीवित करने का अवसर प्रदान करेगा।
इस महोत्सव में विशेष रूप से लघु-उद्घाटन के रूप में भगवान के माता-पिता का चयन भी किया गया। इस सौभाग्यशाली भूमिका के लिए मुरलीपुरा निवासी सुरेश बड़जात्या और उनकी धर्मपत्नी सुरज्यानी देवी का चयन किया गया है। वर्तमान में जयपुर में प्रवासरत यह दंपती इस पुण्य अवसर के लिए चयनित किए गए हैं। यह चयन मुनि 108 श्री आदित्य सागर जी द्वारा फार्म-जांचों और उपयुक्तता के मूल्यांकन के पश्चात किया गया। मुनि 108 श्री आदित्य सागर जी, आचार्य गुरुवर 108 श्री विशुद्ध सागर जी के परम प्रभावक शिष्य हैं। उन्होंने गहन विचार और औपचारिक जाँच प्रक्रिया के बाद इस निर्णय को अंतिम रूप दिया और चयनित परिवार को आशीर्वाद प्रदान किया।
इस अवसर पर जोबनेर जैन समाज के सदस्यों ने सुरेश बड़जात्या का माल्यार्पण कर उनका स्वागत और सम्मान किया। इस समारोह में पंडित महावीर प्रसाद जैन, मोंटू, विनोद बड़जात्या उर्फ मीठा, विनोद गांधी, मानक सेठी, अमित जैन, गौरव बड़जात्या, मुकेश पाटनी, प्रमोद बड़जात्या, अजय बड़जात्या सहित कई अन्य गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे। समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने चयनित दंपती को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि वे इस पवित्र भूमिका को श्रद्धा और समर्पण के साथ निभाएँगे।
मुनि 108 श्री आदित्य सागर जी ने आगामी तैयारियों की रूपरेखा भी साझा की। इसके तहत मंदिर स्थल की सफाई और सज्जा, पारंपरिक हवन-पूजा, धार्मिक प्रवचन, समाजसेवात्मक कार्यक्रम और श्रावक-श्राविकाओं के लिए विशेष आयोजन शामिल होंगे। उन्होंने सभी समाज के सदस्यों से संयम, सहयोग और अनुशासन बनाए रखने की अपील की ताकि यह महोत्सव पवित्र और सफल रूप से संपन्न हो सके।
पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह स्थानीय जैन समाज की सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक समरसता को भी प्रदर्शित करता है। इस महोत्सव के माध्यम से युवा पीढ़ी को जैन धर्म की परंपराओं, संस्कारों और धार्मिक मूल्यों से परिचित कराने का अवसर मिलेगा। साथ ही, यह आयोजन समाज में भाईचारे और सामूहिक सहयोग की भावना को भी मजबूत करेगा।
जैन समाज के वरिष्ठ सदस्य और उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने इस अवसर पर कहा कि यह महोत्सव जोबनेर और मुरलीपुरा क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सुरेश-सुरज्यानी दंपती इस जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा, श्रद्धा और धर्मपरायणता के साथ निभाएँगे और आने वाले समय में समाज को प्रेरित करेंगे।
जोबनेर में इस महोत्सव की तैयारी में स्थानीय समाज के साथ-साथ प्रवासी सदस्य भी सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक उत्सव का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक समरसता, सहयोग और संस्कृति के संरक्षण का संदेश भी देता है। पंचकल्याणक महोत्सव में शामिल धार्मिक अनुष्ठान, हवन, प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आने वाले समय में स्थानीय युवाओं और बच्चों के लिए धार्मिक शिक्षा और नैतिक मूल्यों का प्रेरक स्रोत बनेंगे।
331 वर्षों बाद यह महोत्सव जोबनेर में आयोजित होने जा रहा है, जो इस क्षेत्र के जैन समुदाय के लिए गौरव का विषय है। इस आयोजन के माध्यम से समाज के सदस्य अपने पारंपरिक मूल्यों, आस्था और सामाजिक जिम्मेदारियों को पुनः अनुभव करेंगे। मुनि 108 श्री आदित्य सागर जी का मार्गदर्शन, स्थानीय समाज की सक्रिय भागीदारी और चयनित दंपती की श्रद्धा एवं समर्पण इस महोत्सव को सफल और स्मरणीय बनाएंगे।
इस प्रकार, जोबनेर में पंचकल्याणक महा‑महोत्सव न केवल धार्मिक उत्सव के रूप में महत्व रखता है, बल्कि यह स्थानीय जैन समाज की सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है। यह आयोजन आने वाले समय में क्षेत्र में धर्म, संस्कृति और समाज सेवा के महत्व को उजागर करेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

