Jaipur News: जयपुर के आसमान में आधी रात को दिखे आग के गोले: उल्कापिंड की आशंका
शुक्रवार देर रात जयपुर के आसमान में हुए खगोलीय नजारे ने लोगों को चौंका दिया। रात करीब 1:25 बजे शहर के अलग-अलग हिस्सों से आसमान में आग के गोले नजर आए। तेज रोशनी के साथ करीब 25 सेकंड तक यह नजारा देखा गया। आसमान में आग जैसे चमकते गोले दिखाई देने से लोग घबरा गए और अलग-अलग कयास लगाने लगे।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि लगभग 200 मीटर तक तेज रफ्तार से चलती रोशनी आसमान में दिखाई दी। किसी ने इसे उल्कापिंड तो किसी ने रहस्यमयी रोशनी बताया। कई लोगों ने इस दृश्य के वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी शेयर किए, जो तेजी से वायरल हो गए।
हालांकि अभी तक इस घटना की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन खगोल विशेषज्ञों का मानना है कि यह उल्कापिंड हो सकते हैं। BM बिड़ला तारामंडल जयपुर के पूर्व निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि इस तरह की रोशनी आमतौर पर उल्का पिंड या फिर किसी स्पेसक्राफ्ट के पृथ्वी की ओर आने के दौरान देखी जाती है।
गौरतलब है कि राजस्थान में पहले भी जालोर और नागौर जिले में ऐसी खगोलीय घटनाएं देखी जा चुकी हैं। इस खगोलीय नजारे ने जयपुरवासियों को हैरान कर दिया और देर रात तक लोग इसके बारे में चर्चा करते रहे।

जयपुर शहर में निर्माण नगर, विद्युत नगर, देवी नगर, नंदपुरी, परकोटा सहित अलग-अलग इलाकों में कई जगह आसमान से धरती पर गिरती रोशनी देखी गई थी। लोगों का कहना है कि शुक्रवार रात 1 बजकर 21 मिनट पर ऐसा देखने को मिला था। लगभग 1 मिनट तक रोशनी की किरणें तेज रफ्तार के साथ 200 मीटर तक आसमान में दिखी। ये रोशनी आगे की ओर बढ़ रही है। लोगों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी अपलोड किया।

एक्सपर्ट क्या बोले
BM बिड़ला तारामंडल जयपुर के पूर्व निदेशक संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि इस तरह की रोशनी आमतौर पर उल्कापिंड या फिर स्पेसक्राफ्ट के धरती की ओर आने पर दिखाई देती है। उन्होंने बताया कि स्पेसक्राफ्ट अक्सर आसमान में ही जलकर नष्ट हो जाते हैं, जबकि अगर उल्कापिंड का आकार बड़ा हो तो उसके धरती पर गिरने की संभावना रहती है। दुनिया के कई देशों में उल्कापिंड गिरने की घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। ऐसे में जब तक धरती पर उल्कापिंड गिरने के पुख्ता प्रमाण नहीं मिलते, तब तक इसे स्पेसक्राफ्ट मानना ही उचित होगा। भट्टाचार्य ने कहा कि एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के स्पेसक्राफ्ट अक्सर समूह में गुजरते हैं, इसलिए यह रोशनी उनके स्पेसक्राफ्ट की भी हो सकती है। साथ ही यह भी संभव है कि अगर कोई अन्य स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से धरती के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो वह इसी तरह जलकर समाप्त हो जाता है।

